तांत्रिक की डायरी
(Tantrik Ki Diary)
Pustak Ke Lekhak (Author of Book) : सुशील कुमार (Sushil Kumar)
Pustak Ki Bhasha (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
Pustak Ka Akar (Size of Ebook) : 11.7 MB
Pustak Mein Kul Prashth (Total pages in ebook) : 179
Book Details :
सृष्टि के रहस्यों को जानने के लिए, मनुष्य ध्यान देने, सोचने और बुढ़ापे से शोध कर रहा है और शायद अनंत काल तक जारी रहेगा। अन्वेषण की इस महानता में, अब तक कई बुद्धिजीवियों, दार्शनिकों, कलाकारों और दुनिया के बुद्धिजीवियों ने मेधा का बलिदान किया है
(To know the secrets of creation, the human being is meditating, thinking and researching from old age and will probably continue till eternity. In this greatness of exploration, so far many intellectuals, philosophers, artists and intellectuals of the world have sacrificed Medha)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽