मुनि सम्मलेन
(Muni Sammelan)
पुस्तक के लेखक (Author of Book) : हीरालाल शर्मा (Hiralal Sharma)
पुस्तक की भाषा (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
पुस्तक का आकर (Size of Ebook) : 2.0 MB
कुल पन्ने (Total pages in ebook) : 60
Book Details :
Parlokvashir Prasad memorial memorial memorial Jainaniyya Justice Shri 1008 Shrimadvijayanand Surishwar (Shri Atmaramji) Maharaj's auspicious gathering was held on 13th June 1912 on Thursday in the capital of Gujarat, Vadodara Upadhyaya Janishera.
(परलोकावशीर प्रसाद स्मारक स्मारक जैननिया न्यायमूर्ति श्री 1008 श्रीमद्विजानंद सुरिश्वर (श्री आत्मारामजी) महाराज की शुभ सभा 13 जून 1 9 12 को गुजरात की राजधानी गुजरात में हुई थी, वडोदरा उपाध्याय जनेशरा।)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽