खून की होली
(Khoon Ki Holi)
Pustak Ke Lekhak (Author of Book) : सुधीन्द्र (Sudhindra)
Pustak Ki Bhasha (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
Pustak Ka Akar (Size of Ebook) : 1.8 MB
Pustak Mein Kul Prashth (Total pages in ebook) : 106
पुस्तक खरीदें
(Buy Book)
(You Can Buy This Book From A Trusted Website Amazon By Following Buy Now Link)
विश्वसनीय वेबसाईट अमेजन से यह पुस्तक खरीद सकते है।
Book Details :
These plays were written on various festivals and celebrations in the Vidyapith, and were written to play. Due to being starring, he can be called successful on acting decisions. Drama acting, readable, behind the audio is a playback poem
(ये नाटक विद्यापाठ में विभिन्न त्यौहारों और समारोहों पर लिखे गए थे, और खेलने के लिए लिखा गया था। अभिनीत होने के कारण, उन्हें अभिनय के फैसले पर सफल कहा जा सकता है। नाटक अभिनय, पठनीय, ऑडियो के पीछे के पीछे एक नाटक कवि स्वरुप है)
Best Thoughts : For More Thoughts Go To > Rclipse Thoughts
वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽