धर्मशास्त्र साहित्य में अपराध एवं दंड विधान
(Dharma Shastra Sahitya Mein Aparadh Evam Dand Vidhan)
पुस्तक के लेखक (Author of Book) : डॉ विभा (Dr. Vibha)
पुस्तक की भाषा (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
पुस्तक का आकर (Size of Ebook) : 50.0 MB
कुल पन्ने (Total pages in ebook) : 186
Book Details :
समृद्ध संस्कृत साहित्य में, बहु-आयामी सामाजिक रूप से धर्मनिरपेक्ष प्राप्ति प्राप्त की जाती है। अपने विशाल धर्मशास्त्र साहित्य में, जीवन का प्राचीन भारतीय जीवन अनसुना नहीं हुआ है
(In rich Sanskrit literature, multi-dimensional socially secular realization is obtained. In his vast theology literature, the ancient Indian life of life has not been unheard of)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽