चिंतन की चांदनी
(Chintan Ki Chandni)
Pustak Ke Lekhak (Author of Book) : देवेन्द्र मुनि (Devendra Muni)
Pustak Ki Bhasha (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
Pustak Ka Akar (Size of Ebook) : 4 MB
Pustak Mein Kul Prashth (Total pages in ebook) : 180
Book Details :
In the book presented from time to time, there is a brief, obsolete memoir in the currency of meditation on religion, philosophy literature, society, cultural, art, science, spirituality and the possibility of life.
(समय-समय पर प्रस्तुत पुस्तक में, धर्म, दर्शन साहित्य, समाज, सांस्कृतिक, कला, विज्ञान, आध्यात्मिकता और जीवन की संभावनाओं पर ध्यान की मुद्रा में एक संक्षिप्त, अप्रचलित संस्मरण है)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽