काली घटा
(Kali Ghata)
पुस्तक के लेखक (Author of Book) : गुलशन नंदा (Gulshan Nanda)
पुस्तक की भाषा (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
पुस्तक का आकर (Size of Ebook) : 14.13 MB
कुल पन्ने (Total pages in ebook) : 122
Book Details :
As soon as the sound of the horse's ropes was sounded on the gate of the deodhi, Madhuri opened the window and peeped down. Her husband returned soon. She immediately came down to decorate the scattered things in the room and welcomed her. It was sunset....
(जैसे ही घोड़े की रस्सी की आवाज को दोदी के द्वार पर लगी थी, माधुरी ने खिड़की खोली और झटके लगी। उसका पति जल्द ही लौट आया वह तुरंत कमरे में बिखरे चीजों को सजाने के लिए उतर गई और उसे स्वागत किया यह सूर्यास्त था)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽